गौरव को एक बार एक ऐसे रिश्तेदार के यहाँ शादी में जाना पड़ा, जिन्होंने उसका और उसके परिवार का पोषण नहीं शोषण किया था। गौरव वहां किसी भी प्रकार से न जाना चाहता था, न ही उसकी इस शादी में किसी भी प्रकार की दिलचस्पी थी। ज़िन्दगी जीने की उसकी अपनी अलग परिभाषा थी. उसके लिए ज़िन्दगी जीने का सिर्फ एक उसूल था, "जीना है तो लड़ना पड़ेगा"। सतत, सभी से, कमजोर व कठिन दोनों ही परिस्थितियों में और अगर जीना है तो जीतना पड़ेगा। ये जंगल का कानून नहीं जीवन की सच्चाई है। "मार दो या मरो", मार दो उन सारी कठिनाइयों को जो जीवन में बाधक हैं; मार दो उन सारी महत्वाकान्क्षायों को जो प्रगति में रोढा हैं। मार दो, ख़त्म कर दो उन रिश्तों को जो पोषते नहीं अपितु नोचते जरूर हैं। लेकिन कुछ चीज़ों का निर्वहन औपचारिकताओं की पूर्ति भर के लिए ही सही, जरूरी है। ऐसी औपचारिकताएं इसलिए भी जरूरी हैं की ये लोग, बे-वक़्त की अंतिम आशा के रूप में कभी काम भी आ सकते हैं। इसलिए गौरव न सिर्फ उस शादी में गया, बल्कि उसे कुछ दिन पहले भी जाना पड़ा।
{३}
दुल्हन की अपनी खरीददारी और शादी में आने वाले मेहमानों को दिए जाने वाले गिफ्ट, बस दो ही व्यवस्थाएं पहले हुयीं थीं। इसके अलावा बाकी सारे काम बस इन्हीं कुछ दिनों में पूरे हुए। स्वागत की तय्यारी से लेकर ठहरने की व्यवस्था तक; खानसामों की, पंडालों की यहाँ तक की शादी में आने वाले मेहमानों के लिए बनने वाले भोज्य और प्रसादों की भी। गौरव को जाते ही इन कामों में लगना पड़ा।
औपचारिक रूप से ही सही, कुछ दिन पहले जाना और उसके बाद शादी के कामों में लगना कुछ ऐसे फैसले थे, जिन पर उसका अपना कोई बस न था।
{४}
क्या किसी अनुत्तरित प्रश्न को छोड़ना ज़रूरी है? या किसी प्रश्न को अनुत्तरित छोड़ना? क्या यह ज़रूरी है की आपकी सोच, आपकी परिस्थितियों की या आपकी वास्तविकता का रुख बदल देंगी? शायद नहीं, इसलिए जीवन का हर वो फैसला जो आप पर लागू होता है हमेशा आपकी सोच का आईना नहीं होता, हमेशा वो प्रश्न जिनके जवाब आप ढूंढते रह जाते हैं, ताउम्र आपको परेशान करते रहते हैं कई बार आपके होते ही नहीं वरन उन परिस्थियों से पैदा हुए होते हैं जिन पर आपका कोई बस नहीं होता।औपचारिक रूप से ही सही, कुछ दिन पहले जाना और उसके बाद शादी के कामों में लगना कुछ ऐसे फैसले थे, जिन पर उसका अपना कोई बस न था।
(जारी...)
..जीवन का हर वो फैसला जो आप पर लागू होता है हमेशा आपकी सोच का आईना नहीं होता..
ReplyDelete..सही है।