Pages

Wednesday, September 1, 2010

भीड़ से भयंकर

मैं_
भीड़ से नहीं डरता।

हाँ_
पर डरता हूँ,
उस हर एक आदमी से,
जिसकी नीयत,
जिसकी मानसिकता,
मुझे अनुकूल नहीं लगती।

की_
भीड़ नहीं,
उसके इरादे मायने रखते हैं।

कम से कम मेरे लिए।

3 comments:

  1. पढ़े-लिखे लगते हो!
    --
    अब मैं ट्विटर पे भी!
    https://twitter.com/professorashish

    ReplyDelete
  2. भीड़ नहीं,
    उसके इरादे मायने रखते हैं।
    ...सही कहा. वैसे भींड़ की भेंड़ चाल भयावह भी हो सकती है.

    ReplyDelete
  3. @Ashish ji: ji, kuchh padh likh gaya hoon :)
    @Baichen Atma: hmm, sahi hai, bhed chal bhi bhayawah ho sakti hai.

    ReplyDelete

About Me

मैं जिंदा हूँ, मगर ज़िंदगी नहीं हूँ; मुझपे मरने की ग़लती करना लाज़िम नहीं है|

Followers