मेरी कहानियों में,
मतलब ना ढूंढना, ना किरदार,
न ही शायद कामयाबी मिले तुम्हें,
गर ढूँढने निकलो तुम कथा सार
न ही ढूंढना तुम,
किसी के साथ के
या किसी के बाद के,
अनुभव, न आपबीती।
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फिर क्या?
क्यों पढ़ें हम,
जब कहानी में कुछ भी कहानी जैसा नहीं??
रुको!
मैंने जाने को कब कहा?
सुन तो लो बात पूरी मेरी।
मेरी कहानियों में,
एहसास ढूंढ लेना, ख्वाब ढूंढ लेना,
जीने के कई तरीके और रवानी ढूंढ लेना,
कुछ कभी खाली बैठने के बहाने ढूंढ लेना,
कुछ करने को, कुछ हंसने को,
खोने को कुछ, कुछ पाने को
कुछ कभी सोचने को बातें ढूंढ लेना।
अगर ये भी कम लगे!
तो
एक ज़िन्दगी,
शायद तुम्हारी, शायद मेरी,
या हम सबकी ढूंढ लेना।
और हाँ!
इस ज़िन्दगी के लिए
एक नाम ढूंढ लेना।
रचना मन को लुभा गई!
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब कहा!
ReplyDeleterachna sarahne ke liye dhanyawad..
ReplyDeleteasha hai ap yun hi prerit karte rahenge
Pretty Cool Buddyyy ....... ur poetry is quite indepth .....
ReplyDeletegreat work..........
ReplyDeleteBhai Parag,
ReplyDeleteकुछ कभी खाली बैठने के बहाने ढूंढ लेना,... bhai this line really floored me! :) very good.