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Wednesday, June 30, 2010

मेरी कहानियों में..

मेरी कहानियों में,
मतलब ना ढूंढना, ना किरदार,
न ही शायद कामयाबी मिले तुम्हें,
गर ढूँढने निकलो तुम कथा सार
न ही ढूंढना तुम,
किसी के साथ के
या किसी के बाद के,
अनुभव, न आपबीती।
___

फिर क्या?
क्यों पढ़ें हम,
जब कहानी में कुछ भी कहानी जैसा नहीं??

रुको!
मैंने जाने को कब कहा?
सुन तो लो बात पूरी मेरी।

मेरी कहानियों में,
एहसास ढूंढ लेना, ख्वाब ढूंढ लेना,
जीने के कई तरीके और रवानी ढूंढ लेना,
कुछ कभी खाली बैठने के बहाने ढूंढ लेना,
कुछ करने को, कुछ हंसने को,
खोने को कुछ, कुछ पाने को
कुछ कभी सोचने को बातें ढूंढ लेना।


अगर ये भी कम लगे!
तो
एक ज़िन्दगी,
शायद तुम्हारी, शायद मेरी,
या हम सबकी ढूंढ लेना।

और हाँ!
इस ज़िन्दगी के लिए
एक नाम ढूंढ लेना।

6 comments:

  1. रचना मन को लुभा गई!

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  2. वाह! बहुत खूब कहा!

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  3. rachna sarahne ke liye dhanyawad..
    asha hai ap yun hi prerit karte rahenge

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  4. Pretty Cool Buddyyy ....... ur poetry is quite indepth .....

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  5. great work..........

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  6. Bhai Parag,

    कुछ कभी खाली बैठने के बहाने ढूंढ लेना,... bhai this line really floored me! :) very good.

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About Me

मैं जिंदा हूँ, मगर ज़िंदगी नहीं हूँ; मुझपे मरने की ग़लती करना लाज़िम नहीं है|

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