अक्षरशः
सत्य है
शब्दों का वो अनवरत क्रम
आज भी
जो सीखा था हमनें
कभी अनजाने मे
जन्म
रुदन
क्रीडा
सृजन
प्रकोप
अभिमान
अहंकार
द्वन्द
और
आभार!
सत्य है
शब्दों का वो अनवरत क्रम
आज भी
जो सीखा था हमनें
कभी अनजाने मे
जन्म
रुदन
क्रीडा
सृजन
प्रकोप
अभिमान
अहंकार
द्वन्द
और
आभार!
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