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Saturday, April 24, 2010

मेरा कमरा

इस दरवाजे से अन्दर घुसकर जब भी देखता हूँ, कुछ खास नज़र आता है|

एक बिस्तरा, जिसकी सिलवट दुपहरी तक सीधी नहीं होती|
एक ओढ़ने वाली चादर भी है; जिसकी तह कभी लगी नहीं होती|
एक तरफ से गद्दा नीचे उतरता सा लगता है|
और उतरे हुए कपड़ों के ढेर के लिए, जैसे और कोई जगह ही नहीं होती!

एक कोने में रखी, बैठने वाली कुर्सी पे कोई बैठता ही नहीं;
बैठता तो तब, जब उस पर साबुन, पेस्ट, ब्रुश, की ढेरी लगी नहीं होती|
कोने में पड़ी एक डेस्क पर, कुछ बिखरा सा सामान है;
उस पर किसी की नज़र, शायद कभी पड़ी नहीं होगी|

एक मेज़, जिसके बोझ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है,
लैपटॉप, मोबाइल, चाभी, और हाँ कुछ कभी न पढ़ी जाने वाली किताबों के बोझ से,
कभी अलग नहीं होती|

ये सामने क्या एक अलमारी है?
माफ़ करना उसे खोलने की अब मेरी हिम्मत नहीं होती|
एक कोने में रखी किताबों पे चढ़ी धूल की परत,
कुछ और कहने का मौका ही नहीं देती|

---

मगर,
वक़्त चाहे कुछ भी हो,
हर तरफ से, तमाम लोगों से, मिलकर, थककर, जब ये बदन चूर हो|
जब किसी के पास वक़्त न हो|
जब कभी,
अपनापन हो या न हो, अकेलापन ढूँढने की चाहत हो|
कभी अकेले में अपने आप से बातें करनी हों,
सोचना हो या तमाम पुरानी बातों को दोहराना हो;
हंसने की ज़रुरत लगे या आंसुओं में डूब जाना हो;
बीते हुए कल के लिए सोचना हो, या फिर आने वाले कल की फिक्र हो;
किसी पे फख्र हो, या फिर अपने एहसास के लिए कभी खुद से ही भीड़ जाना हो|
जब,
कभी माँ की याद आये, पर वो दूर हो, उसे याद करके आंसुओं में डूब जाना हो;
कभी कोई सुरीला सा गाना, बुरी सी, फटी सी, बेसुरी, कर्कश आवाज़ में गुनगुनाना हो;
कभी कोई काम, जो पता नहीं कब से अटका पडा है, अचानक याद आये, उसे पूरा कर जाना हो;
किसी के लिए कुछ सोचना हो, या किसी की यादों में कुछ वक़्त बिताना हो;


इससे बेहतर, इससे अलग, कोई दूजी जगह नहीं होती...........................|

2 comments:

  1. this one is my all my favorite .... isse behtar IMT Hostel rooms ki dasha koi bata hi nahi sakta :)

    ReplyDelete
  2. dhanyawad sir ji..
    waise ye IMT rooms ki hai ya nahi pata nahi lekin mere room ka mera wala half to aisa hi tha
    :)

    ReplyDelete

About Me

मैं जिंदा हूँ, मगर ज़िंदगी नहीं हूँ; मुझपे मरने की ग़लती करना लाज़िम नहीं है|

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